मार्कण्डेय पुराण अनुसार कर्म फल-

मार्कण्डे पुराण के अनुसार पापों के अनुसार भिन्न भिन्न योनियों की प्राप्ति



जो अपने गुरु के साथ छल करते है उन्हें श्वान की योनि प्राप्त होती है , गुरु की पत्नी एवं उनके धन को मन ही मन इच्छा होनेपर यही फल प्राप्त होता है

माता पिता का अपमान करने वाले उनसे कटु वचन बोलने वाले पक्षी की योनि में प्रस्थान करते है , भाई की पत्नी का अपमान करने वाले कबूतर उसे पीड़ा देने वाले कछुए की योनि में जा दीर्घ काल तक संताप झेलते है

जो अपने मालिक का अन्न ग्रहण करता है किंतु उसका अभीष्ट साधन करता है वह वानर की योनि को प्राप्त होता है , किसी की धरोहर हड़पने वाले नरक से लौटने उपरांत कीड़े की योनि को प्राप्त होता है

विश्वास घाती मनुष्य मछली तथा अज्ञान वश धान,जौ,तिल,उड़द,सरसों,चने ,गेहूं की चोरी करता है वह नेवले के समान मुख वाला हो जाता है

शास्त्र हीन मनुष्य की हत्या करने वाला गधा, भोजन की चोरी करने वाला मक्खी , गिद्ध साँप, कौए की योनि में जन्म लेने वाला खोटी बुद्धि का होता है

यज्ञ , दान, विवाह में विघ्न डालनेवाला तथा कन्या का दुबारा दान करने वाला कीट पतंग, तथा चंडाल होता है , जो देवता पितृ, को समय पर भोग अर्पित किए बिना भोजन ग्रहन करता है वह कौए की योनि को प्राप्त होता है

नमक की चोरी से जल नाग, तिल समान अन्न चोरी से चूहा, दूध की चोरी से बगुले, तेल की चोरी से तेल ग्रहण करने वाला कीड़ा बनता है

जो भूमि का अपहरण करते है वह अत्यंत भयानक रौरव आदि नरक में जा लौटने पर तृण, झाड़ी, लता, बेल बनते है फिर थोड़ा सा जन्म भोग मनुष्य योनि को प्राप्त होते है

गौ और सोने की चोरी करने वाला अत्यंत दुर्गति को प्राप्त होता है वह बार बार अंधा, बहरा, कोढ़ी होता है उसके नेत्र, मुख , गुदा रोगों से ग्रस्त रहते है

दूसरेकी निन्दा करना, कृतघ्नता, दूसरोंके गुप्त भेदको खोलना, निष्ठठुरता दिखाना, निर्दय होना, परायी स्त्रीका सेवन करना, दूसरेका धन हड़प लेना, अपवित्र रहना, देवताओंकी निन्दा करना, शठतापूर्वक मनुष्योंको ठगना, कंजूसी करना, मनुष्योंके प्राण लेना तथा और भी जितने निषिद्ध कर्म हैं, उनमें निरन्तर प्रवृत्त रहना-ये सब नरक भोगकर लौटे हुए मनुष्योंकी पहचान हैं, ऐसा जानना चाहिये। जीवोंपर दया करना, अच्छे वचन बोलना, परलोकके लिये पुण्यकर्म सत्य बोलना, सम्पूर्ण भूतोंके लिये हितकारी है

जय सियाराम जी।

Leave a comment

Design a site like this with WordPress.com
Get started