निवारण मंत्र प्रत्येक मंत्र को १०८ बार पास में कांसे के बर्तन में जल रख के जाप करे,
जप के पश्चात् जल को स्वयं या रोगी को पिलाए
1. हृदय-विकार (Heart disease) • ॐ लं ललिता-देवीभ्यां नमः • ॐ नमः शिवाय संभवे व्योमेशाय नमः ।
2. कैंसर रोग • ॐ नमः शिवाय शंभवे कर्केशाय नमो नमः ।
3. जिह्वा-विकार (tongue disorder)……
• ॐ सं सर्व-मंगलाभ्यां नमः जिह्वा-विकार, तुतलाना, हकलाने के रोगी इसका उपयोग करें।
4. • आँतों (Intestine)……
• ॐ कां काल-रात्रीभ्यां नमः आँतों, अक्सर, आमांश आदि विकार पर यह लाभकारी है।
5. • कण्ठ-गत विकार • ॐ चिं चित्र-घण्टाभ्यां नमः
6. कर्ण-विकार (Ear disease)….. • ॐ द्वां द्वार-वासिनीभ्यां नमः
7. गुप्त-विकार … • ॐ गुं गुह्येश्वरी नमः गुप्त-विकार, शौच-शुद्धि से पूर्व, बवासीर, प्रमेह – विकार
8. • दन्त-विकार (Teeth disease)
• ॐ कौं कौमारीभ्यां नमः दन्त-विकार, बच्चों के दाँत निकलने के समय यह मन्त्र लाभकारी है।
9. • उदरस्थ व्याधियों (Abdominal)…..
• ॐ शं शूल-वारिणीभ्यां नमः उदरस्थ व्याधियों, प्रसव-वेदना के रोगी इसका उपयोग करें।
10. मानसिक व्याधियाँ हेतु …
• ॐ शों शोक-विनाशिनीभ्यां नमः
• ॐ उमा देवीभ्यां नमः । (मृत्यु-भय, पति-पत्नी का कलह-विग्रह, सिरदर्द, याददाश्त )
1. • कफ संबंधी रोग • ॐ पद्मावतीभ्यां नमः ।
12. श्वास रोग • ॐ नमः शिवाय संभवे श्वासेशाय नमो नमः ।
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