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जब से द्वारकाधीश का निर्माण हुआ तब से पहली बार आधी रात को मंदिर के कपाट एक झटके में खोल दिए गए ये परंपरा किसी इंसान के लिए नहीं बदली गई किसी मंतरी, संतरी के लिए नहीं तोड़ी गई..
भारतीय परंपरा में शामिल 25 गायों को बुधवार आधी रात को मंदिर के अंदर प्रवेश कराकर द्वारकाधीश के दर्शन कराए गए भारतीय नस्ल की ये गायें कच्छ से 490 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अपने मालिक महादेव देसाई संग द्वारका पहुंची थीं..
दरअसल कुछ दिन पहले महादेव देसाई की गायों को लंपी बीमारी ने घेर लिया था। गायों की हालत काफी खराब हो गई थी, जगह-जगह गायें दम तोड़ रही थी। ऐसे में महादेव देसाई ने द्वारकाधीश से मन्नत मांगी कि अगर उनकी गायें ठीक हो गई तो वो गायों के साथ उनके दर्शन को पहुंचेंगे आखिरकार प्रभु ने चमत्कार दिखाया और जल्द सभी गायों को जानलेवा बीमारी लंपी से बचा लिया।
दो महीने बाद बुधवार के दिन महादेव देसाई पैदल-पैदल गायों को लेकर द्वारकाधीश पहुंच गए, देसाई की श्रद्धा देखकर मंदिर प्रसाशन ने उन्हें गायों समेत भगवान के दर्शन करने की इजाज़त दी। दिन में भक्तों का रेला था इसलिए मंदिर प्रसाशन ने रात में गायों के लिए मंदिर के द्वार खोलने का फैसला किया, इस तरह रात के 12 बजे बाद द्वार खोलकर सभी गायों को द्वारकाधीश के दर्शन कराए और मंदिर की परिक्रमा तक करवाई गई। मंदिर प्रसाशन ने गायों के लिए प्रसाद और चारे की भी संपूर्ण व्यवस्था की थी।
भगवान द्वारकाधीश की जय हो।
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