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कई बार कुण्डली देखने पर सब सही होता है पर फिर भी व्यक्ति बहुत परेशान होता है। परिवार में आपसी विवाद, अशांति, धन का बिना वजह खर्च, घर मे लगभग सभी या मुखिया का रोगों से ग्रसित होना, संतान प्राप्ति में दिक्कत या संतान को कष्ट, इतना कंफ्यूज़ होता है व्यक्ति की पर्सनल प्रोफ़ेशनल सभी क्षेत्रों में दबाव बना रहता है। कुल मिलाकर समस्याओं से घिरे रहते हैं लोग।
कुलदेवी और देवता की अनदेखी न करें।
◆अगर आपको नही पता कि आपकी कुलदेवी कौन है तो पहले तो अपने पूर्वजों के स्थान में रहने वाले रिश्तेदारों, या वहाँ रह रहे लोगों से सम्पर्क करें।
◆हरिद्वार, पिहोवा, प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, पुष्कर, जगन्नाथपुरी आदि स्थानों में आपके क्षेत्र के पंडों को भी आप संपर्क कर सकते हैं।
वे लोग आपके फैमिली ट्री और कुलदेवी/देवता के बारे बता पाएंगे।
◆अगर आपको सब प्रयास करके भी आपकी कुलदेवी/देवता का पता चल रहा है तो फ़ॉर आप उनको रोज़ याद करके, उनके लिए एक दीपक जगाएं और उनसे प्रार्थना करें कि वो आप उनके पास पहुँचने का रास्ता दिखायें, कुलदेवी देवता आपके कुल के अधिष्ठात्र देव होते हैं जितना आपकी बाध्यता है कि आप उन्हें याद करें, परिवार के हर शुभ कर्म में उन्हें स्मरण रखें उनकी पूजा करें, उतना ही उनको भी बन्धन होता है कि वो आपके याद करने और पुकारने पर आपकी रक्षा करें, मार्गदर्शन करें।
कुलदेवी आपके हस्त रेखा में बनी आकृति अनुसार-
आपको बता दे,की प्रत्येक बालिका के दाहिना अंगूठे की जड़ पर बने आकृति से पिता के वंश की कुलदेवी का पता चलता है। आप अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत और अंगूठे के मध्य बनी आकृति के तारे से कुलदेवी का पता लगा सकते है।
जय सियाराम जी।
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