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ब्रह्मचर्यम् ’—ये आठ क्रियाएँ ब्रह्मचर्य को भंग करने- वाली हैं—
(१) पहले कभी स्त्रीसंग किया है, उसको याद करना,
(२) स्त्रियों से रागपूर्वक बातें करना,
(३) स्त्रियों के साथ हँसी-दिल्लगी करना,
(४) स्त्रियों की तरफ रागपूर्वक देखना,
(५) स्त्रियों के साथ एकान्त में बातें करना,
(६) मन में स्त्रीसंग का संकल्प करना,
(७) स्त्रीसंग का पक्का विचार करना और
(८) साक्षात् स्त्रीसंग करना। ये आठ प्रकार के मैथुन विद्वानों ने बताये हैं१। इनमें से कोई भी क्रिया कभी न हो, उसका नाम ‘ब्रह्मचर्य’ है।
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